ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI
आध्यत्म ही जीवन का महत्वपूर्ण अंग है...
BY AMIT ANANT
जीवन कितना सुन्दर है,उसका अभिमान करो।
जीवन में खुशियाँ आती है,उसका सम्मान करो।
देखोगे जो हृदय से, तो बात समझ में आएगी,
जो पल है कितना सुन्दर,उसका गुड़गान करो।।
ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI...मनुष्य के जीवन मे आध्यात्मिकता होना बहुत जरूरी होता है, बिना अध्यत्मिकता के मनुष्य का जीवन अधूरा होता है क्यों कि मनुष्य को समझ और ज्ञान अध्यत्मिकता से ही आती है।और जीवन मे आध्यत्म रहने से मनुष्य को सहनशीलता अधिक होती है और जिस मनुष्य के जीवन मे सहनशीलता होती है वो अपने विवेक का उपयोग करके जीवन को बहुत ही सुन्दर भाव, समझ एवं प्रेम से जीता है। और अपने ज्ञान से अपने आप को एवं अपने आस पास स्वच्छता रखता है। और साथ मे सदैव सेवा-भाव,प्रेम-भाव एवं आनंदमय जीवन जीता है।और सदैव दुसरो के हित का कार्य करता है।
ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI...मनुष्य में आध्यत्म रहने से अच्छी सोच और नीत से हर एक कार्य को करके अच्छे ऊंचाइयों को छूता है और अपने हर कार्य को कुशलता पूर्वक करके उच्च स्थान प्राप्त करता है। और आध्यत्म होने से सबसे बड़ा महत्व यह होता है कि मनुष्य जीवन को पूर्ण रूप से अच्छे कार्य एवं संस्कार में लगा कर अपने जीव का कल्याण करता है और परमात्मा के श्री चरणों मे स्थान प्राप्त करता है, जिससे मनुष्य जीवन का सही उपयोग होता है। क्यों कि मनुष्य जीवन बार-बार नही मिलता है केवल एक बार ही मिलता है और बहुत बड़ी भाग्य होता है, तभी मनुष्य का जीवन मिलता है।
ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI...मनुष्य के जीवन मे आध्यत्म होता है, तो मनुष्य का जीवन भक्तिमय होता है और भक्तिमय जीवन होने से उसका सदैव ध्यान परमात्मा रखते है और उसके हर कार्य मे पूरी कायनात साथ देती है। मनुष्य का जीवन पाँच तत्वों से बना है जो कि यही पाँच तत्व से सभी का पूरा जीवन निर्वाह होता है। इन पाँच तत्वों में से अगर एक तत्व ना मिले तो मनुष्य का जीवन समाप्त हो जाएगा। अध्यत्मिक होने से मनुष्य सत्य बोलता है झूठ नही बोलता है। और सत्य तो सत्य ही है और जहाँ सत्य है, वही ईश्वर है, क्यो कि सत्य ही ईश्वर है बाकी सम्पूर्ण जगत मिथ्या है। इस लिए मनुष्य के जीवन में अध्यत्मिकता होना बहुत जरूरी होता है। और आध्यत्म ही जीवन का महत्वपूर्ण अंग होता है।
ADHYATM HI JEEVAN KA MAHATVPURN AANG HAI...प्यारे मित्रो, जिसके जीवन में अध्यत्मिकता नही होती उसके जीवन का कोई मोल नही होता क्यो कि वो सदैव झूठ बोलता है और अपने जीवन मे लोभ, क्रोध, मोह ,ईर्ष्या इन्ही सभी में अपना जीवन यापन करता है। इस लिए मनुष्य को सदैव अपने जीवन में अध्यत्मिकता रखनी चाहिए और सदैव सत्य बोलना चाहिए और सत्य की राह पर चलना चाहिए। क्रोध, लोभ ,मोह, ईर्ष्या से बच कर जीवन जीना चाहिए और सदैव ही दूसरों के सुख में सुखी और दूसरों के दुःख में दुःखी रखना चाहिए और सम्पूर्ण रूप से इंसानियत रखनी चाहिए।
"धन्यवाद"
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